Wardha: वर्धा एमआइडीसी में अधिकारियों की लापरवाही के कारण Industrial Plants पर खेती हो रही है. जाँच आगे बढ़ी तो और गड़बड़िया उजागर हुई है. एमआईडीसी अधिकारियों की मिलीभगत से वर्धा एमआईडीसी परिसर स्थित दशकों पुराने प्राकृतिक जलस्रोत को ही बुझा दिया गया है. पानी का प्राकृतिक बहाव बंद करके, लगभग बारह नए औद्योगिक प्लॉट बना डाले गए है. अब सवाल यह उठ रहा है कि आखिरकार नियमों का उल्लंघन करने वाले इस काम को करने की अनुमति आखिर किसने दी है.
एमआईडीसी परिसर के डी जोन में लगभग 70 साल पुराना नाला था. लेकिन एमआईडीसी ने यह नाला बुझाने के बाद यहां पर प्लॉट नंबर डी 55 से डी 68 तक के नए प्लॉट निकाल दिए हैं. अब सवाल है कि आखिर किस अधिकारी ने यह प्रस्ताव मुंबई के वरिष्ठ अधिकारियों को भेजकर गुमराह किया है. जानकारों का कहना है कि नए प्लॉट डालने से पहले यही नाला कुछ प्लॉट को भेदकर तो कहीं पर प्लॉट को छूता हुआ आगे निकलता था. नाला बुझाने से पहले ढलान के प्लॉट में पानी नहीं भरता था. परंतु अब इस नाले पर बनाए गए प्लॉट्स पर तीन से चार फुट तक पानी भर जाता है. एमआईडीसी की गलती के कारण ढलान पर आने वाले प्लॉट के धारकों को बारिश में अपना कारखाना बंद रखना पड़ेगा.
“एमआईडीसी क्षेत्र का नाला बुझाया नहीं जा सकता है. नाला किसने पाट दिया है इसकी जानकारी नहीं है. एमआईडीसी में प्लॉट डालने का काम रिजनल ऑफिस करता है. इस संबंध में रिजनल ऑफिसर ही जवाब दे सकते हैं.”
– मोहन व्यास, उप अभियंता एमआईडीसी