पार्टी में हाशिए पर चल रहीं बीजेपी नेता Pankaja Munde की शिव शक्ति परिक्रमा यात्रा का सोमवार को समापन हो गया. इसके पहले सार्वजनिक कार्यक्रमों से 2 महीने की छुट्टी के बाद पंकजा ने पिछली 4 सितंबर को बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक घृष्णेश्वर से अपनी यात्रा की शुरुआत की थी. यह यात्रा परली में वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग तीर्थ पर समाप्त हुई.
इस दौरान करीब 4 हजार किमी की यात्रा करने वाली Pankaja Munde ने भावुक होकर कहा कि लोग मुझे एक तालुके का नेता समझने लगे थे, लेकिन इस यात्रा के दौरान मुझे मिले अपार जनसमर्थन से अभिभूत हूं. अपनी एक सप्ताह की यात्रा खत्म कर Pankaja Munde परली पहुंची. यहां उन्होंने अपने समर्थकों को संबोधित किया. शिवशक्ति यात्रा के बाद अब राजनीतिक परिक्रमा के लिए पंकजा तैयार हो गईं हैं. उन्होंने स्वयं कहा कि अब रोने का नहीं लड़ने का वक्त आ गया है.
सरकार में अजित पवार गुट के आने से बदला राजनितिक समीकरण.
बीजेपी की राष्ट्रीय सचिव Pankaja Munde फिर से एक बार राज्य की राजनीति में सक्रिय होना चाहती हैं. इसकी शुरुआत उन्होंने शिवशक्ति यात्रा से कर दी है. राज्य की शिंदे- बीजेपी सरकार में अजीत पवार गुट के शामिल होने से सियासी समीकरण बदल गए हैं. चर्चा है, कि अगर महायुति मिल कर विधानसभा चुनाव लडती है तो परली से Pankaja Munde का टिकट कट सकता है.
अजीत गुट में कृषि मंत्री और Pankaja Munde के चचेरे भाई धनंजय मुंडे फ़िलहाल परली से विधायक है. ऐसे में या Pankaja Munde अपने लिए दूसरी सीट तलाश करेंगी. उधर पंकजा के लोकसभा चुनाव लड़ने की भी संभावना है. बहन प्रीतम मुंडे दो बार से सांसद हैं. वैसे पंकजा ने यह भी कहा है कि प्रीतम को हटा कर वे लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगी. पंकजा ने अपनी खोई हुई राजनीतिक ज़मीन को हासिल करने की कोशिश शुरू कर दी है.