एक बार फिर Uddhav Thackeray और Eknath Shinde गुट आमने-सामने, दही हांडी पर विवाद, मामला पहुंचा हाई कोर्ट.

मुंबई: हाई कोर्ट में शिंदे और ठाकरे गुट के बीच एक और विवाद अब दही हांडी पर आ गया है. राज्य सरकार को स्थिति स्पष्ट करने का आदेश देते हुए कोर्ट ने अपनी तरफ से दोनों पक्षों को दही हांडी का उत्सव को मनाने के लिए सुझाव भी दिए हैं. याचिका पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने कहा राज्य सरकार को याचिकाकर्ताओं पर कुछ सख्त प्रतिबंध लगाने चाहिए और विचार करना चाहिए कि क्या वे भी अन्य समूहों की तरह दही हांडी मना सकते हैं. हालांकि हांडी उत्सव की वजह से दोनों गुट एक बार फिर से एक दूसरे के आमने सामने आ गए हैं. अदालत ने दोनों समूहों को 2-3 घंटे के अलग-अलग समय पर दही हांडी मनाने पर विचार करने का भी आदेश दिया.

कोर्ट ने दिया आदेश अलग-अलग समय करे उत्सव का आयोजन.

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कल्याण पश्चिम में शिवाजी चौक पर दही हांडी का आयोजन कौन करेगा? इस सवाल पर दोनों गुट बंटे हुए हैं. त्योहारों का मतलब लोगों को एक साथ लाना, उनके बीच की दूरियों को पाटना है. हालांकि मौजूदा मामले में दोनों गुटों के बीच विवाद की आशंका है. इसलिए प्रशासन को लगा कि इस मसले को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाना जरूरी है. सुनील शुक्रे और न्या. फिरदौस पुनीवाला की खंडपीठ ने नोट कर राज्य सरकार को उक्त मुद्दों पर बुधवार को स्थिति स्पष्ट करने का आदेश दिया. 7 सितंबर को होने वाले दही हांडी के अवसर पर शिंदे गुट के शहर अध्यक्ष रवींद्र पाटिल ने कल्याण में शिवाजी चौक पर दही हांडी के आयोजन की अनुमति मांगी थी. पुलिस ने उनका अनुरोध स्वीकार कर लिया. इसके बाद उद्धव ठाकरे गुट के शहर अध्यक्ष सचिन बसरे ने उसी स्थान पर दही हांडी की अनुमति मांगी.

याचिकाकर्ता का दावा ये हमारी पुरानी परम्परा,यही मनाते आए है उत्सव.

याचिकाकर्ताओं को दूसरे समूह द्वारा दही हांडी उत्सव मनाने पर कोई आपत्ति नहीं है. हालांकि, याचिका में कहा गया है कि यह याचिका यह सोचकर दायर की गई है कि हमें भी दूसरे समूह की तरह दही हांडी उत्सव मनाने का अधिकार है. यदि कोई कानून-व्यवस्था की समस्या है तो उससे निपटना संबंधित पुलिस का कर्तव्य है, सिर्फ इसलिए कि एक समूह जश्न मना रहा है, दूसरे समूह को जश्न मनाने से प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है.

सरकार ने दिया सुभाष चौक का विकल्प.

पाटिल ने अनुमति ले ली थी, इससे पहले याचिकाकर्ताओं ने आवेदन किया था. एक बार उन्हें अनुमति मिल गई तो निर्णय वापस नहीं लिया जा सकेगा. सरकार की ओर से याचिकाकर्ताओं को कानून व्यवस्था रखने के लिए 400 मीटर दूर सुभाष चौक का विकल्प भी दिया गया. भूपेश सम्मत कोर्ट का निर्देश लेकर आये. इस पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार को मामला निपटाने का आदेश दिया और सुनवाई बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी.

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