Justin Trudeau : Canada की कुल जनसंख्या में सिखों की तादाद भले ही 2.1 प्रतिशत हो, लेकिन इस समुदाय में जो मुट्ठीभर कट्टरपंथी तत्व हैं, उन्होंने कनाडा की राजनीति में अपनी संख्या की तुलना से बहुत अधिक प्रभाव हासिल किया हुआ है. कनाडा के प्रांतों जैसे ब्रिटिश कोलंबिया में वे सिख मतों को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इस तथ्य से यह अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है कि जस्टिन टूडो भारत पर निज्जर की हत्या का आरोप क्यों लगा रहे हैं, जिसे भारत ने ‘बेतुका’ व ‘प्रेरित’ कहकर ठुकरा दिया है.
हाल के दिनों में जस्टिन टूडो की लोकप्रियता में कमी आई है. इस अगस्त के अंत में हुई रायशुमारी में कनाडा के 56 प्रतिशत नागरिकों ने कहा कि उन्हें अपना पद छोड़ देना चाहिए. जस्टिन टूडो अल्पमत सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं और उन्हें अपनी सियासी किस्मत बदलने के लिए एक मुद्दा चाहिए. भारत को अपने स्टैंड पर मजबूती से कायम रहना चाहिए और जस्टिन ट्रुडो पर छोड़ देना चाहिए कि वह निज्जर मामले में कितनी दूर तके जाना चाहते हैं.
ऐसा प्रतीत होता है कि निज्जर को लेकर जस्टिन ट्र्डो ने सेल्फ-गोल करलिया है या करने जा रहे हैं. फाइव आईज इंटेलिजेंस अलायंस (अमेरिका, इंग्लैंड, ऑस्ट्रलिया, न्यूजीलैंड व कनाडा) ने कनाडा के आरोपों को गंभीर तो कहा है, लेकिन निज्जर की हत्या की निंदा करने हेतु संयुक्त सार्वजनिक वक्तव्य जारी करने के कनाडा के आग्रह को मानने से इंकार कर दिया है ब्रिटेन ने कहा कि वह आरोपों को गंभीरता से ले रहा है, लेकिन पहले की तरह भारत से अपना व्यापार तालमेल जारी रखेगा.
संयुक्त सार्वजनिक वक्तव्य के जरिये कनाडा भारत को उन देशों की सूची में शामिल कराना चाहता था, जो अपने राजनीतिक विरोधियों की विदेशों में हत्या कराते हैं. इसलिए जस्टिन ट्रुडो के पूर्व सलाहकार जोसीलिन कौलोन ने निज्जर की हत्या की तुलना पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या से की. सउदी अरब ने 2018 में तुर्की में अपने दूतावास में जमाल की हत्या करा दी थी. यह तुलना बहुत ही बेतुकी है. जमाल सिर्फ विद्रोही पत्रकार थे, वह किसी आपराधिक गतिविधि में शामिल नहीं थे और न ही किसी आतंकी गुट के सदस्य थे.
सीसीटीवी फुटेज व ऑडियो रिकॉर्डिंग्स के रूप में उनकी हत्या के साक्ष्य मौजूद हैं. दूसरी ओर 26 वर्ष पहले रवि शर्मा के फेक पासपोर्ट पर कनाडा में राजनीतिक शरण लेने वाला प्लंबर निज्जर बब्बर खालसा इंटरनेशनल का सदस्य रहा और अन्य आतंकी गतिविधियों में लिप्त होने के अतिरिक्त उसने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारे जगतारसिंह तारा को आर्थिक मदद पहुंचाई. कनाडा की शुरुआती जांच में निज्जर की हत्या आपसी दुश्मन का परिणाम थी, जिसे अब राजनयिक रंग देकर जस्टिन ट्रूडो खतरनाक खेल खेल रहे हैं.