मुश्किल में किसान,सूखे से खेती का बुरा हाल, स्तिथि चिंताजनक!
गोबरवाही, चिखला, नाकाडोंगरी, आष्टी, डोंगरीबुजुर्ग परिसर का समावेश है.अधिकांश गांव आदिवासी बहुल हैं, जिनकी खेती वर्षा के भरोसे होती है. इस क्षेत्र में इस वर्ष औसत से भी अत्यंत कम बारिश होने से क्षेत्र की बहुत-सी कृषि भूमि सूखी रह गई. इससे फसलों की स्थिति चिंताजनक है. मुख्यतः इस अंचल में धान की फसल ली जाती है. जैसे-तैसे किसानों ने, तालाब, बोड़ी, नाले, बांधों से पानी लेकर धान की रोपाई की. उसके बाद पिछले 25 दिनों से बारिश नहीं होने से धान की फसलों को नुकसान पहुंचा.
क्षेत्र के अनेक गांवों में राजीव गांधी सागर प्रकल्प से सिंचाई की व्यवस्था न होने से इन गांवों में फसलों की स्थिति खराब हो गई है. दूसरी ओर कृषि पंपों को सिर्फ रात में वह भी अनियमित रूप से बिजली आपूर्ति होने से स्थिति और गंभीर हो गई है. अनेक किसानों ने ग्रीष्मकालीन धान सरकारी खरीदी केंद्रों को बेचा था. उसकी राशि भी अभी तक न मिलने से किसान आर्थिक रूप से परेशान हैं. खरीफ धान फसल लेने के लिए किसानों ने अभी तक बीजों से लेकर रासायनिक खाद.
कीटनाशक, रोपाई, निंदाई आदि पर काफी पैसा खर्च किया है. किसान हल्के मोटे धान की कम समय में आने वाली फसल लेते हैं, जिसे वे सरकारी धान खरीदी केंद्र पर ले जाकर बेचते हैं. हल्के धान की फसल अभी तैयार हो रही है, ऐसे में पानी की अत्यंत आवश्यकता है. नवरात्र प्रारंभ होते ही हल्के धान की कटाई की जाती है. बालापुर हमेशा, गणेशपुर, पवनारखारी येदरबुची, सुंदरटोला, सीतासावंगी, गोबरवाही, हेटीटोला आदि ऐसे गांव हैं जहां सिंचाई के साधन नहीं के बराबर हैं, जो तालाब हैं वह खाली पड़े हैं.
इन गांवों में राजीव गांधी सिंचाई प्रकल्प से सिंचाई की कोई व्यवस्था नहीं है.बावनथड़ी नदी के किनारे बसे गांवों के किसान नदी किनारे बनाए गए कुओं से मोटर पंप लगाकर सिंचाई करते हैं, परंतु बारिश के भरोसे जो किसान है उनके सामने सूखे का खतरा मंडरा रहा है. सामाजिक कार्यकर्ता युवा किसान सौरभ बेलखेड़े ने राज्य सरकार के पोर्टल पर मुख्यमंत्री को पत्र देकर क्षेत्र के किसानों की समस्याओं से अवगत कराया है. साथ ही प्रभावित गांवों को सूखाग्रस्त घोषित कर किसानों को सहायता देने की मांग की है.